बारिस मे घूमने वाली जगह( दार्जिलिंग )
दार्जिलिंग
भारत के खुबसूरत जगहो मे से दार्जिलिंग भी एक बहुत मनमोहक स्थान है ; जो कि पश्चिम बंगाल मे स्थित है ! यह नगर शिवालिक पर्वतमाला लघु हिमालय पर्वत पर स्थित है: यहाँ की औसत 2,134
मीटर {6, 972} फुट है
विशेषता
दर्जिलिंग यह शहर पहाड़ों की चोटी पर स्थित है ; यहा पुरे इलाके मे सड़कों का जाल बिछा हुआ है;ये सड़कें एक दूसरे से आ कर मिलती हैं;यह पुरे इलाके मे पहाड़ों को काट छाट कर बनाई गई है;इस सड़क पर घुमते हुए आपको यहा की खूबसूरती बया करती हुई यहा की बहुत पुरानी इमारते दिख जाती हैं;जो कि आज भी उतनी ही मनमोहक दिखती हैं;जितनी की वह पहले के समय पर थी ;इन इमारतों की बनावट बहुत अच्छी है :इन इमारतों मे बनी हुई खिड़कियाँ और धुआँ निकालने के लिए बनी चिमनी पुराने समय की याद दिलाती हैं;आप यहा इमारतों के साथ साथ पुराने स्कूल भी देख सकते हैं पुराने समय की इमारतों के साथ साथ आप को यहा नये कंक्रीट से बने हुए भवन भी देखने मिल जाते है ; पुराने इमारतें और नये घर इस शहर की खूबसूरती मे चार चाँद लगा देते हैं ;
संक्या मठ
यह मठ दर्जिलिंग से लगभग 8 km की दूरी पर स्थित है;यह मठ संक्या संप्रदाय की दहरोहर हैं इस मठ मे एक प्रार्थना हाल भी है जिसमें एक साथ 50 से 60 लोग बैठ कर प्रार्थना कर सकते हैं;
टाइगर हिल
टाइगर हिल का सबसे मुख्य केन्द्र उसकी चढ़ाई है। जिस पर हर रोज सुबह के समय आपको लोग चढ़ते मिल जाएँगे। यह एक बहुत ही अनोखा रास्ता होता है। और इसके बगल में ही कंचनजंघा की पहाड़ी है जो पर्यटकों के मन को लुभाति है। इस चोटी की उचाई (1838) से (1849) तक है। यह विश्व की सबसे उंची चोटी भी है हाला की एक सर्वे के अनुसार यह पता चला है कि दुनिया की सबसे बड़ी चोटी नेपाल में जिसका नाम माउंट एवरेस्ट यह दुनिया की सबसे बड़ी चोटी मे आती है। अगर आप खुश नसीब है तो आप टाइगर हिल पे चढ़ कर कंचनजंघा से एवरेस्ट को देख सकते हैं जिसकी उचाई कंचनजंघा से मात्र ( 856) मीटर उचाई पर है। कंचनजंघा को लोग रोमांटिक पहाड़ी भी कहते है ।यहा की खुबसूरती लोगो को अपनी तरफ लुभाती है जिससे यहाँ लोग जादा जाते हैं।
शुल्क
सिर्फ देखने के लिए कोई शुल्क नही उस पर चढ़ने के लिए 10₹ है। और वहा बैठने के लिए 30₹ है। और आप वहा पर गाड़ी से भी जा सकते हैं जिसका किराया लगभग 60 से 70 ke बीच मे रहता है।
चाय उघान
दर्जिलिंग सबसे पहले अपने मसलो के लिए पर्सिद्ध था। लेकिन अब चाय के लिए विश्व् स्तर पर जाना जाता हैं। चाय का पहला बीज चाइना से लाया गया था जो की झड़ी था लेकिन कुछ समय के बाद दर्जलिंग चाय के नाम से पर्सिद्ध हो गया । स्थानीय मिटी तथा हिमालीय हवावो के कारण चाय की फसल बहुत अच्छी होती हैं। वर्तमान समय में दर्जलिंग मे तथा उसके आस पास लगभग 75 से 80 चाय उघान है।इन उघान मे लगभग 40000 se 50000 लोगो को काम मिला है जो की एक रोजगार का केंद्र है। प्रत्येक उघान का अपना अपना नाम है। और हर उघान की चाय का अलग अलग टेस्ट है । लेकिन सभी चाय दर्जिलिंग की चाय के नाम से जानी जाती हैं। इन उघान को घूमने का सबसे अच्छा समय गर्मियों में होता है । जब चाय की पतियों को तोडा जाता हैं।
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